रविवार, 13 सितंबर 2009

बात सिर्फ़ स्वाइन फ्लू पर ही क्यों ?

इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्वाइन फ्लू एक घातक बिमारी है, लेकिन यह भी सच है कि स्वाइन फ्लू का इलाज सम्भव है और थोड़ी सी सावधानी स्वाइन से बचा सकती है. लेकिन दुनिया में कई ऐसी बिमारियाँ हैं जो स्वाइन फ्लू से कहीं घातक है, लेकिन उनकी उतनी चर्चा नहीं होती जितनी स्वाइन फ्लू की होती है.
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में दिमागी बुखार से लगभग 40 बच्चों की मौत हो गई थी लेकिन यह खबर कभी सुर्खी नहीं बन पाई.
और अब एक नई बिमारी का पता चला है जिसे मंकी मलेरिया कहा जाता है. इस बिमारी की वजह से मलेशिया के लोगों की जान के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है. पहले यह माना जाता था कि यह बिमारी सिर्फ बंदरों को ही होती है लेकिन अब इस बिमारी से इंसानों के ग्रस्त होने के मामले सामने आ रहे हैं. और इस तरह से पाँचवें प्रकार की मलेरिया का उद्भव हुआ है. दुनिया में मलेरिया से प्रति वर्ष 10 लाख लोगों की मौत होती है. लेकिन अब मलेरिया अफ्रीका और एशिया महाखंड में रहने वाले लोगों के जीवन का एक हिस्सा बन चुकी है इसलिए इस बात की इतनी चर्चा नहीं होती. मलेरिया के विभिन्न प्रकारों में से मलेरिया फाल्सीपारम सबसे घातक होता है. लेकिन यह नई किस्म की मलेरिया जिसे पी. नोलेसी कहा गया है भी काफी घातक है. पी. नोलेसी या जिसे मंकी मलेरिया भी कहा जाता है कि किटाणुँ शरीर में हर 24 घंटें के बाद फिर से पनपते रहते हैं, और इसलिए इसलिए यह रोग काफी घातक साबित हो सकता है. अभी तक इस रोग से ग्रस्त लोगों के कम मामले ही प्रकाश में आए हैं, परंतु चिकित्सकों का मानना है कि चुँकि इसके लक्षण आप पी. मलेरिया जैसे ही होते हैं इसलिए इसे आम मलेरिया ही समझ लिया जाता है.